भारत वर्ष में विशाल भारशिव भर शासन करते थे भर वंश के
बहुत प्रतापी शूरवीर भर क्षत्रिय राजा थे,अपने जीते जी भरताज को खत्म नहीं होने दिया। रायबरेली गजेटियर में पृष्ठ 262 उल्लेख किया गया है अमर सिंह बघेल ने इनकी वीरता का परिचय स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया है इनका शासनकाल 15 वी. शताब्दी में माना जाता है,,
भारत वर्ष में विशाल भारशिव भर शासन करते थे भर वंश के राजा बड़े प्रतापी शुरवीर ऐश्वर्य शाली और योद्धा थे। जिन्होंने अपने बाहुबल और पराक्रम से देश पर आक्रमण करने वाली शक, कुषाण, यवन आदि विदेशी जातियों को मार भगाने में समर्थ हुए हैं यह लोग वर्तमान मथुरा इलाहाबाद अवध मिर्जापुर काशी वगैरह में रियासतें स्थापित कर सदियों राज्य करते रहे हैं क्योंकि यह लोग पहले शैव संप्रदाय के अनुयाई थे अतएव शिव जीके परम उपासक होने के कारण ये लोग प्रारंभ में भारशिव नाम से विख्यात हुए तत्पश्चात यही राजभर और भर जाति के नाम से प्रसिद्ध हुए ऐतिहासिक घटनाओं के आधार पर कुछ लोगों का विचार इस प्रकार है कि जिस समय शक, हुण आदि विदेशी जातियों का आक्रमण उत्तर भारत में होना शुरू हुआ
इन वीर भर सरदारो ने उन मलक्ष्यों को देश की सीमा से बाहर निकाल देने का भार अपने सर पर लिया उन्हें सफलतापूर्वक कार्यान्वित कर संसार के समक्ष अपनी वीरता का पूर्ण परिचय दिया अतः इसी भार को ग्रहण करने के कारण यह राज वंशीय वीर भारशिव राजभर भरत कहलाए जाने लगे जो इस नाम से अब तक प्रसिद्ध हैं चाहे जो कुछ भी हो परंतु यह निर्विवाद सिद्ध है
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